प्रयागराज में 12 वर्षों के बाद लगने वाले महाकुंभ को लेकर कोडरमा स्थित ध्वजाधारी धाम में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता महामंडलेश्वर सुखदेव दास जी महाराज ने की। उन्होंने महाकुंभ के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह आयोजन विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक अनुष्ठान है, जिसकी जड़ें हजारों साल पुरानी हैं। उन्होंने पौराणिक कथाओं का जिक्र करते हुए बताया कि अमृत की बूंदे प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरी थीं, और यही कारण है कि इन स्थानों पर कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। कुंभ का समय नक्षत्रों के अनुसार निर्धारित होता है, जिसमें 12 वर्षों में महाकुंभ और 6 वर्षों में अर्धकुंभ आयोजित होते हैं। इस बार के महाकुंभ में कोडरमा के लोगों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जा रही हैं।
कर्दम खालसा करेगा श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था
महामंडलेश्वर सुखदेव दास जी महाराज ने बताया कि कोडरमा जिले से महाकुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कर्दम खालसा विशेष व्यवस्था करेगा। यह पहली बार है कि उनके महामंडलेश्वर बनने के बाद जिले के श्रद्धालुओं के लिए इस प्रकार की व्यवस्था की जा रही है। इसके अंतर्गत, जगह-जगह पर साइन बोर्ड लगाए जाएंगे ताकि कोडरमा से आने वाले श्रद्धालु आसानी से कर्दम खालसा तक पहुंच सकें।