झारखंड को मिला सिर्फ लूट:
पिछले 24 वर्षों में झारखंड ने विकास के बजाय लूट का सामना किया है। राज्य को बिहार से अलग करने का मकसद था कि झारखंड अपने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर विकास करेगा। लेकिन आज स्थिति यह है कि झारखंड विकास के मामले में बिहार से भी पीछे है। राज्य में रोजगार की स्थिति भी निराशाजनक है, और पुराने औद्योगिक क्षेत्रों में भी काम ठप पड़ा है।
औद्योगिक गतिविधियों का बंद होना:
झारखंड के कोडरमा जिले को कभी ‘अभ्रक नगरी’ कहा जाता था। यहां अभ्रक, माइका, स्टोन जैसे उद्योग सक्रिय थे, लेकिन अब ये सारे उद्योग बंद हो चुके हैं। हेमंत सोरेन सरकार ने डेढ़ साल पहले देवरा में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए परियोजनाओं को हरी झंडी दी थी, लेकिन प्रशासन ने तुरंत इसे रोक दिया। यह कहा गया कि यूरेनियम मिलने की वजह से रोक लगाई गई, लेकिन कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आया।
यूरेनियम और लिथियम का महत्व:
झारखंड में यूरेनियम की मौजूदगी से संभावनाएं तो हैं, लेकिन लिथियम की बात अलग है। आज की दुनिया में लिथियम की जरूरत बहुत ज्यादा है, क्योंकि यह बैटरियों के लिए अहम है। यदि झारखंड में लिथियम मिल जाता है, तो यह राज्य और देश के लिए एक बड़ा आर्थिक बदलाव ला सकता है।
स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति:
झारखंड में डॉक्टरों की कमी एक बड़ी समस्या है। कोडरमा में डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं है और जो डॉक्टर हैं, उन्हें भी नौकरी से निकाला गया है। यह स्थिति स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक संकट में डाल रही है।
राजनीतिक भ्रष्टाचार और न्याय व्यवस्था:
झारखंड और बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना मुश्किल हो गया है। जो लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलते हैं, उन्हें जेल भेज दिया जाता है। न्याय व्यवस्था भी कई बार असफल होती नजर आती है, जैसे मोतिहारी में एक सैनिक को झूठे आरोप में जेल भेजा गया, लेकिन वह कुछ ही दिनों में बाहर आ गया।
गुजरात का राजनीतिक माहौल:
गुजरात में लोगों का राजनीतिक दृष्टिकोण काफी सकारात्मक है। वहां लोग अपने पैसे से चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशियों की मदद करते हैं और काम होने की उम्मीद भी करते हैं। हालांकि, यदि कोई निर्माण कार्य सही तरीके से नहीं होता, तो उस पर सख्त कार्रवाई भी होती है। उदाहरण के लिए, एक पुल 42 करोड़ रुपये में बना, लेकिन उसके टूटने पर पूरे देश में यह खबर बन गई और जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया गया।
निष्कर्ष:
झारखंड में प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है, लेकिन रोजगार, स्वास्थ्य और राजनीतिक स्थिरता की स्थिति चिंताजनक है। यदि इन मुद्दों को हल किया जाए, तो राज्य के विकास की संभावनाएं असीम हैं।